Date Today: December 10, 2025, 10:11 am

ताज़नगरी में जुटेंगे दुनिया के कोने-कोने के शू एक्सपोर्टर्स

Meet at Agra 2025 : जूता उद्योग का तीन दिवसीय इंटरनेशनल महाकुंभ 7 नवम्बर से
250+ एग्जीबिटर्स करेंगे शिरकत, 25,000 से अधिक विजिटर्स की उम्मीद
नई तकनीक, नए इनोवेशन और वैश्विक ट्रेंड्स के साथ आगरा बनेगा फुटवियर इंडस्ट्री का ग्लोबल हब

आगरा। फुटवियर उद्योग के तीन दिवसीय महाकुंभ “Meet at Agra 2025” का आयोजन 7 से 9 नवम्बर तक किया जाएगा। यह आयोजन आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स चैम्बर (एफमेक) द्वारा आगरा ट्रेड सेंटर, सींगना गांव, एनएच–2, आगरा में होगा। इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में भारत सहित विभिन्न देशों के 250 से अधिक एग्जीबिटर्स हिस्सा ले रहे हैं। आगरा ट्रेड सेंटर में एक ही छत के नीचे विश्व का फुटवियर बाजार साकार होगा।
एफमेक अध्यक्ष गोपाल गुप्ता ने सोमवार को मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि लगभग 19 वर्ष पहले कैप्टन ए.एस. राणा ने ‘मीट एट आगरा फेयर’ की शुरुआत इस सोच के साथ की थी कि फुटवियर इंडस्ट्री की सप्लाई चेन को मजबूत बनाया जाए। उस समय यह केवल एक विचार था, लेकिन आज यह आंदोलन बन चुका है। इस आयोजन को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में पूर्व अध्यक्ष पूरन डावर का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है। कोरोना महामारी के कारण दो साल तक यह आयोजन नहीं हो सका, लेकिन सबकी मेहनत और सहयोग से एक बार फिर उसी उत्साह के साथ इसका 17वाँ संस्करण आयोजित करने जा रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यह फेयर अब सिर्फ इंडस्ट्री को जोड़ने का नहीं, बल्कि उसे नई दिशा देने का मंच बन गया है। इस बार हमने इंडस्ट्री को और मजबूत बनाने के लिए रेटिंग और फैक्टरिंग से जुड़ी संस्थाओं को भी आमंत्रित किया है ताकि हमारे कारोबारी साथियों को वित्तीय योजनाओं और अवसरों की बेहतर जानकारी मिल सके। हमारा मानना है कि अगर सप्लाई चेन मजबूत होगी तो जूता निर्माता और निर्यातक भी मजबूत होंगे। एफमेक का हमेशा यही प्रयास रहता है कि इंडस्ट्री के भीतर सहयोग बढ़े, विदेशी वेंचर्स से साझेदारी बने और जो चीजें हम आज बाहर से मंगवाते हैं, वे आगरा में ही निर्मित हों यही ‘मेक इन इंडिया’ का असली उद्देश्य है।” उन्होंने इंडस्ट्री से जुड़े सभी कारोबारियों, फैक्ट्री मालिकों, परचेज मैनेजरों और आरएंडडी विभाग के वरिष्ठ सहयोगियों से आग्रह किया कि वे इस फेयर में अवश्य आएँ और इसका अधिक से अधिक लाभ उठाएँ। “फुटवियर के साथ-साथ आगरा की अन्य इंडस्ट्री को भी इस आयोजन से सीधा लाभ मिलेगा। इसलिए मैं सभी उद्योगों से भी आग्रह करता हूँ कि वे ‘Meet at Agra’ का हिस्सा बनें।” श्री गुप्ता ने बताया कि प्रदेश सरकार के माननीय मंत्री, एनआरआई एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के श्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ जी 7 नवम्बर को उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे। फेयर आयोजन समिति के चेयरमैन कुलबीर सिंह ने कहा कि यह आयोजन अब वर्ल्ड फुटवियर कैलेंडर में शामिल हो चुका है और विभिन्न देशों के उद्योग जगत से जुड़े कारोबारी हर साल इसका इंतजार करते हैं। एफमेक उपाध्यक्ष राजीव वासन ने कहा कि फुटवियर कंपोनेंट इंडस्ट्री जब मजबूत होगी तभी अच्छा जूता बन सकेगा। “यह फेयर कंपोनेंट इंडस्ट्री और मैन्युफैक्चरर्स के बीच सेतु की तरह काम कर रहा है। इस बार तकनीकी सत्रों में डिजाइन ट्रेंड्स, मैन्युफैक्चरिंग तकनीक और मार्केटिंग स्ट्रेटेजी जैसे विषयों पर विशेषज्ञ चर्चा करेंगे - ये सत्र उद्योग के वर्तमान और भविष्य की दिशा तय करने में मददगार होंगे।” एफमेक के उपाध्यक्ष राजेश सहगल ने कहा कि भारत अब चीन के एक मजबूत विकल्प के रूप में उभर रहा है। “टाटा, रिलायंस, वॉलमार्ट और फ्यूचर ग्रुप जैसी कंपनियाँ अब भारतीय उत्पादों पर निर्भर हैं। यह हमारे लिए अवसर का समय है अब हमें अपनी क्वालिटी को वैश्विक मानकों के अनुरूप और मजबूत बनाना होगा।” एफमेक महासचिव प्रदीप वासन ने बताया कि भारत दुनिया के कुल फुटवियर उत्पादन का लगभग 13% हिस्सा बनाता है, जबकि निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 2.2% है। “हमारे पास उत्पादन और निर्यात दोनों को बढ़ाने की अपार संभावनाएँ हैं - सरकार और उद्यमियों के सामूहिक प्रयास से इस मौके का पूरा लाभ उठाया जा सकता है।” एफमेक सचिव अनिरुद्ध तिवारी ने कहा कि भारत में जूतों-चप्पलों पर प्रति व्यक्ति खर्च अभी भी बहुत कम है लगभग ₹1,500 प्रति वर्ष, जबकि वैश्विक औसत इससे कई गुना अधिक है। उन्होंने कहा कि “तीन डॉलर आयात मूल्य से कम के फुटवियर पर कस्टम ड्यूटी 35% की जानी चाहिए और घरेलू उद्योग को न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसी सुविधा मिलनी चाहिए, ताकि स्थानीय उत्पादकों को प्रोत्साहन मिल सके।” इस अवसर पर ललित अरोरा, इफ्कोमा के महासचिव दीपक मनचंदा, द शू फेक्टर्स फेडरेशन के अध्यक्ष विजय सामा, विजय निझावन, रेनुका डंग, नकुल मनचंदा, अर्पित ग्रोवर, दिलीप रैना सहित कई उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियाँ विशेष रूप से उपस्थित रहीं।


फेयर के प्रमुख आकर्षण और संभावनाएँ
अध्यक्ष गोपाल गुप्ता ने आगे बताया कि इस वर्ष अनुमानित 8,000 ट्रेड विजिटर्स और 25 हजार से अधिक फुटफॉल की संभावना है। “भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में आगरा का जूता उद्योग अहम भूमिका निभा रहा है। सरकार और उद्योग–संगठनों के प्रयासों से मौजूदा 26 बिलियन डॉलर के भारतीय फुटवियर बाज़ार को 2030 तक 47 बिलियन डॉलर तक बढ़ाया जा सकता है। यह वृद्धि मुख्य रूप से गैर–चमड़े के जूतों जैसे स्पोर्ट्स, रनिंग, कैज़ुअल वियर और स्नीकर्स की बढ़ती मांग के बल पर संभव है।”

आगरा में बेकाबू कार का तांडव: पुलिस से बचने में मचाया कहर, 5 की मौत, 7 घायल

ताजनगरी में तेज रफ्तार कार से पांच लोगों की मौत 
न्यू आगरा क्षेत्र के नगला बूढ़ी में हुआ हादसा
आगरा। इलाहाबाद में दीपावली से पहले बाजार में तेज रफ्तार जगुआर कार की कहर को सूबे के लोग भूले नहीं है इस बीच शुक्रवार की रात को ताजनगरी में पुलिस से बचने की कोशिश में बेकाबू हुई तेज रफ्तार कार ने न्यू आगरा के नगला बूढ़ी में दहशत फैला दी। बाइक सवार को टक्कर मारने के बाद कार डिवाइडर पर चढ़ गई। इसके बाद तेज रफ़्तार कार पांच लोगों को रौंदते हुए पलट गई। इस बीच एक और शख्स चपेट में आ गया। कार की जद में कुल सात लोग आकर घायल हो गए। हादसे में चोटिल चार लोगों की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो गई, जबकि अन्य घायलों को हास्पिटल में इलाज के लिए एडमिट कराया गया है। मौका पाकर कार चालक घटनास्थल से भाग निकला। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने कार में फंसे युवक को निकाला और उसे साथ लेकर गई। हादसे से गुस्साए लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। नाराज लोगों ने देर रात तक मौके से कार भी नहीं हटाने दिया। बवाल को देखते हुए पुलिस ने दोनों ओर से रोड पर ट्रैफिक रोक दिया। मालूम हो कि इलाहाबाद में जगुआर कार की जद में आने से एक वयक्ति की मौत हो गई थी। आरोपित कार चालक जेल के सलाखों के पीछे है

बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट की डिजिटल सुविधा, ऑनलाइन कर सकेंगे सुधार

बर्थ और डेथ सर्टिफिकेट में करेक्शन के लिए अब नहीं लगाने होंगे नगर निगम के चक्कर
मोहब्बत के शहर ताज़नगरी के लोगों के काम की ख़बर
आगरा। दुनिया में मोहब्बत के शहर के तौर पर रसूख रखने वाले आगरा (ताजनगरी) के रहने वाले हैं तब आपके काम की ख़बर है। आप, आपके बच्चे या परिवार के किसी भी शख्सियत के जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाते समय नाम में स्पेलिंग मिस्टेक हो गई है तो नगर निगम के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है। आनलाइन आवेदन कर अब घर बैठे ये काम किया जा सकेगा। नगर निगम द्वारा लांच किये गये आन लाइन पोर्टल में इस प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। केवल जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र ही बनाया जा सकता था। लेकिन अब लोगों को हो रही परेशानी के मद्देनज़र नगर निगम ने पोर्टल में अब ये सुविधा भी उपलब्ध करा दी है जिसके माध्यम से नागरिक  https://www.annbdregistration.com/ के माध्यम से आन लाइन आवेदन कर सकता है। अब नाम, पता आदि संबंधी करेक्शन के लिए सुविधा शुरू कर दी गई है। 
नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने बताया कि जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाते समय कई बार नाम और पते की स्पेलिंग मिस्टेक हो जाती हैं। जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र ऑनलाइन बनवाये जाने के लिए वर्तमान में चल रहे पोर्टल में इस प्रकार की सुविधा नहीं थी जिससे लोगों को नगर निगम आना पड़ता है। आम नागरिकों को होने वाली असुविधा को देखते हुए नगर निगम प्रशासन ने आन लाइन वेब पोर्टल में अब इस प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई है। उन्होंने बताया कि प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने के बाद आवेदक को एप्लीकेशन नंबर भी मिलेगा जिससे वह आवदेन की ऑनलाइन प्रगति भी जान सकेगा। अगर आवेदन में किसी प्रकार की कोई कमी पाई जाएगी तो विभाग द्वारा उसे ऑनलाइन ही दुरूस्त कर दिया जाएगा। निगम द्वारा आवेदन स्वीकृत होने के बाद डेथ व बर्थ सर्टिफिकेट करेक्शन के साथ आन लाइन ही आवेदक को प्राप्त हो जाएगा।
पोर्टल के विषय में तकनीकी जानकारी देते हुए नगर निगम के आईटी. ऑफिसर गौरव सिन्हा ने बताया कि प्रथम चरण में पोर्टल पर पंजीकरण कर मोबाइल ओटीपी से लॉगिन कर सकते हैं। उपयोगकर्ता द्वारा अपना मोबाइल नंबर दर्ज करने पर‌ सिस्टम ओटीपी भेजेगा इसके बाद उपयोगकर्ता को ओटीपी दर्ज करके लॉगिन करना पड़ता है। दूसरे  चरण में डेथ या बर्थ  प्रमाण पत्र के लिए बच्चे या मृतक का विवरण, नाम, लिंग, जन्मतिथि, स्थान, ज़ोन आदि के अलावा माता-पिता का विवरण, नाम, आधार संख्या, पता दर्ज करना होता है।
 
दस्तावेज़ भी करने होंगे अपलोड

अस्पताल की पर्ची, आधार कार्ड,गवाहों के दस्तावेज़ (यदि आवश्यक हो)
आवेदन जमा करने के बाद आवेदन आईडी प्राप्त होगी। किया गया आवेदन क्षेत्र के जोनल अधिकारी को ऑनलाइन अग्रेषित कर दिया जाएगा और अधिकारी आवेदन को लिपिक को सत्यापन के लिए भेजेंगे। इस प्रकिया के उपरांत संबंधित लिपिक द्वारा प्रेषित दस्तावेज का सत्यापन किया जाएगा। इस दौरान अगर कोई कमी पाई जाएगी तो आवेदक को ऑनलाइन ही सूचना दी जाएगी। सभी दस्तावेज पूर्ण और सही होने पर लिपिक द्वारा पोर्टल पर दस्तावेज स्वीकृति की स्थिति अपडेट कर दी जायेगी। स्वीकृति उपरांत सर्टिफिकेट ऑन लाइन ही जारी कर दिया जाएगा जिसे आवेदक अपलोड कर प्राप्त कर संबंधित जोनल कार्यालय में जाकर भी प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा सकता है।

ऑनलाइन प्रकिया से ये होगा लाभ 

ऑनलाइन सेवा होने से नागरिकों को बिना किसी बिचौलिए के सीधे सुविधा प्राप्त हो सकेगी और इसको लेकर होने वाली शिकायतों में भी कमी आएगी।
 एजेंट (दलाल) के दुरुपयोग से भी लोगों को सुरक्षा मिलेगी।

अमीर बनो, लेकिन चुप रहो! भाग 2

20% की ब्याज दर एक खजाने को चोर से भी तेजी से खा सकती है। तो कर्ज को एक विद्रोह की तरह देखो। अपनी दीवारों के अंदर एक बगावत की तरह पहले इसे कुचलो। अपने ऊंचे ब्याज वाले कर्जों को चुका दो। इससे पहले कि आप ₹1 कहीं और लगाएं। यह पैसों की दुनिया में एकमात्र पक्की कमाई है। अगर आप 20% ब्याज खत्म करते हैं, तो आपने असल में 20% बिना जोखिम के कमाया। फिर अपने दूसरे कर्जों को देखिए। कार लोंस, पर्सनल लोनस। यहां तक कि घर के कर्ज भी। अगर ब्याज ऊंचा है तो उसे काट दीजिए। खत्म कीजिए। अगर ब्याज कम है जैसे दो या 3% तो सोचिए कि उसे रखें और उस पैसे का इस्तेमाल कहीं और ज्यादा कमाई के लिए करें। यह कंजूसी नहीं है। यह रणनीति है। मकियावेली कहता कि एक समझदार शासक अमीर दिखने के लिए खर्च नहीं करता। वह अमीर रहने के लिए खर्च करता है। जब आप कर्ज खत्म करते हैं, तो आप सिर्फ अपना हिसाब किताब साफ नहीं कर रहे। आप मानसिक शांति वापस पा रहे हैं। आप उस हल्की बेचैनी को हटा रहे हैं जो हर फैसले में कुतरती रहती है। आप उस अंदर की आवाज को चुप करा रहे हैं जो कहती है कि यह दौलत अस्थाई है। उस शोर के बिना आप एक राजा की तरह सोचना शुरू करते हैं। नौकर की तरह नहीं। लेकिन याद रखिए भले ही आपका किला सही सलामत हो। भले ही आपके कर्ज खत्म हो गए हो। आपका सबसे बड़ा खतरा अभी भी आगे है बाजार से नहीं टैक्स से नहीं बल्कि जज्बात से खासकर दूसरों के जज्बात से क्योंकि जब आप अमीर बनते हैं तो आप सिर्फ मौके नहीं खींचते। आप उन लोगों में भूख जगाते हैं जो आपके सबसे करीब हैं और अगले पड़ाव में वह भूख आपको उन तरीकों से परखेगी जो आंकड़े और हिसाब किताब कभी नहीं कर सकते। एक बार जब आपने अपना किला बना लिया, अपने कर्ज को खत्म कर दिया, तब एक नया युद्ध शुरू होता है। जज्बात का युद्ध, भावनाओं का युद्ध। मकियावेली ने कहा था कि लोग उस इंसान को ज्यादा आसानी से ठेस पहुंचाते हैं जो प्यार पाना चाहता है। बजाय उस इंसान के जो डर पैदा करना चाहता है। दौलत में खतरा दुश्मनों से नहीं आता। खतरा आता है दोस्तों से, रिश्तेदारों से और उन लोगों से जो आपकी दौलत पर अपना हक समझते हैं। जब आप अचानक ऊपर उठते हैं तो लोग अपने आप को कहानियां सुनाना शुरू कर देते हैं। तुम मुझ पर कर्जदार हो। तुम सिर्फ किस्मत वाले थे। तुम मेरी मदद के बिना यहां तक नहीं पहुंच सकते थे। उनकी सोच दिल से आती है। दिमाग से नहीं। उनका इरादा बुरा नहीं होता। लेकिन जलन अपना ऐलान नहीं करती। वह चुपचाप आती है। अचानक मिली दौलत का पांचवा नियम यह है। कभी भी अपने दोस्तों या परिवार को पैसे उधार मत दो। जिस पल आप ऐसा करते हैं, आप रिश्तों को लेनदेन में बदल देते हैं। अगर वह वापस नहीं कर पाए, तो नाराजगी पनपती है। अगर वह कामयाब हो गए, तो वह खुद को कर्जदार महसूस करते हैं। दोनों ही हालात में आप हारते हैं। मां की हवेली ने राजकुमारों को चेताया था कि कभी वह मत दो जो वापस नहीं ले सकते बिना नफरत पैदा किए। यही बात पैसे पर लागू होती है। जब लोगों को लगता है कि आपके पास अनगिनत पैसा है तो वह आपकी हद टेस्ट करना शुरू कर देते हैं। वह पूछेंगे बस एक छोटा सा कर्ज एक काम के लिए। एक इमरजेंसी के लिए बस एक बार। एक बार मना करो तो आप खलनायक बन जाते हैं। एक बार हां करो तो आप बैंक बन जाते हैं। एटीएम बन जाते हैं। तो रास्ता क्या है? रास्ता है समझदारी से मदद करना। अगर कोई जिसकी आपको परवाह है उसे सच में मदद की जरूरत है। जैसे कोई बीमारी या कोई बड़ी मुसीबत तो खुले दिल से दो। लेकिन सिर्फ एक बार और इसे कभी कर्ज मत कहो। उन्हें बताओ कि आप उन्हें तोहफा दे रहे हैं। लेकिन एक शर्त के साथ वह दोबारा कभी नहीं मांगेंगे। यह समीकरण को बदल देता है। आप दरियादिल रहते हैं, लेकिन कमजोर नहीं। और अजीब बात यह है कि आप उस लकीर को खींच कर रिश्ते को ज्यादा लंबे समय तक बचा पाएंगे। माकियावेली की दया की समझ यहां बिल्कुल फिट बैठती है। एक बार का दर्द देना बेहतर है बजाय उसे हर रोज सहने के। साफ रहो क्रूर नहीं। एक बार फैसला करो और आगे बढ़ जाओ। आज के द्वार के एग्जांपल्स देखिए। वो खिलाड़ी जो गरीबी से ऊपर उठे वो अक्सर सब कुछ खो देते हैं। गलत निवेश से नहीं बल्कि दरियादिली से। वह पूरे परिवार का बोझ उठाने लगते हैं। दर्जनों लोगों को पालने लगते हैं और अपराध बोध के कैदी बन जाते हैं। जब पैसा सूखने लगता है तो वही लोग गायब हो जाते हैं। बॉक्सर माइक टाइससन को लीजिए। टाइससन 80 और 90 के दशक का दुनिया का सबसे मशहूर मुक्केबाज था। हैवी वेट चैंपियन। उसने अपने पूरे करियर में 300 मिलियन से ज्यादा कमाए। भारतीय रुपए में यह करीब ढाई हजार करोड़ बनता है। लेकिन 10 साल के अंदर वह दिवालिया हो गया। उसकी दौलत सिर्फ फिजूल खर्ची से खत्म नहीं हुई। वह उन अनगिनत हाथों से खत्म हुई जो उसकी तरफ बढ़े। दौलत सच को सामने ले आती है। कौन आपको चाहता है और कौन सिर्फ वह चाहता है जो आप दे सकते हैं। मकियावेली कहता कि यह नेचुरल है। स्वाभाविक है। लोग सिर्फ तभी तक वफादार रहते हैं जब तक उन्हें फायदा मिल रहा हो। इसीलिए आपकी ताकत कभी भी उनके प्यार पर टिकी नहीं होनी चाहिए। वह आपकी हदों पर टिकी होनी चाहिए। दौलत को बचाने के लिए आपको कभी-कभी ठंडा दिखना पड़ेगा। लेकिन याद रखिए बिना काबू के लोहा टूट जाता है। बिना दिल के काबू खराब हो जाता है। चाल यह है कि सूरज की तरह बनो। दूर से गर्म पास से अछूते। अब एक बार जब आपने दरियादिली को समझ लिया तो एक और लालच आपका इंतजार कर रहा है। खर्च करना। यहीं पर इतिहास में किसी भी युद्ध के मैदान से ज्यादा लोग गिरे हैं। छठा नियम पुराना है, लेकिन हमेशा सच रहेगा। कभी भी मूलधन मत खाओ। सिर्फ कमाई खाओ, सिर्फ ब्याज खाओ। जो अमीर लोग अमीर रहते हैं, वह पैसे को खेत की तरह मानते हैं। वह फसल काटते हैं बिना मिट्टी को बर्बाद किए। जो गरीब लोग अमीर बनते हैं, वह पैसे को लकड़ी की तरह मानते हैं। वो अपनी ही नींव को जला देते हैं थोड़ी सी गर्माहट पाने के लिए। एक कहानी सुनिए। कैलिफोर्निया में एक परिवार ने बहुत बड़ा लॉटरी जीता। करोड़ों डॉलर्स। उन्होंने क्या किया? एक महल जैसा घर खरीदा। शानदार गाड़ियां खरीदी। बच्चों को महंगे स्कूल्स में डाला। डिजाइनर हर चीज। 2 साल बाद उन्हें वह घर आधी कीमत पर बेचना पड़ा। उनकी दौलत गायब नहीं हुई। वो कर्ज, टैक्स और गलत फैसलों से खा ली गई। उन्होंने वह तोड़ा जिसे मैं कहता हूं राजा का सुनहरा नियम। आपका मूलधन आपका राज्य है। आप उसे बचाते हैं। आप उसकी कमाई से जीते हैं। उसे खुद से नहीं। आसान भाषा में इसका मतलब है कि आप उस ब्याज से जीते हैं जो आपकी दौलत पैदा करती है। दौलत खुद से नहीं। मकियावेली ने राजाओं को सलाह दी थी कि हमेशा बचत रखो क्योंकि किस्मत बदलती है और जो बिना सोचे समझे बनाता है वह बर्बादी के लिए बनाता है। अपना आजादी का आंकड़ा निकालिए। वह सालाना कमाई जो आपको खुलकर जीने के लिए चाहिए उसे 25 से गुणा कीजिए। वह है आपका छुपा हुआ तख्त। मिसाल के तौर पर अगर आपको साल में ₹ लाख चाहिए आराम से जीने के लिए तो आपको ₹ करोड़ बचाने होंगे। ब्याज आपको चलाता है। मूलधन बना रहता है। भले ही आप अभी उस आंकड़े तक नहीं पहुंचे हैं। फिर भी एक राजा की तरह सोचना शुरू करो। पैसे के बारे में हर फैसला या तो आपकी आजादी में निवेश है या फिर झटके में लिए गए फैसले के सामने हार। हर रुपया जो आप बढ़ाते रहते हैं, वह आपके समय को बढ़ाता है। आपकी शांति को, आपके विकल्पों को। मकसद शान शौकत नहीं है। मकसद है ताकत, लाभ। लेकिन एक बार जब आपने वह व्यवस्था बना ली, एक बार आपकी दौलत अपने ही पैरों पर खड़ी हो गई, तो फिर आप उसके साथ क्या करते हैं? अपने पैसे को कहां लगाएं ताकि वह चुपचाप बढ़े बिना आपको अफरातफरी या खतरे में डाले। जवाब है अंतिम नियम में। किस्मत का आखिरी कानून। कैसे बनाएं एक निवेश की ऐसी योजना जो एक राजा के लायक हो? अलग-अलग जगहों में सुरक्षित और हमेशा के लिए। अब जब आपने अपनी दौलत को बचाना सीख लिया तो सवाल बनता है इसे बढ़ाएं कैसे? तो सुनिए आखिरी नियम। अपने पैसे को अलग-अलग जगहों में बांट दो। कुछ जमीन में, कुछ कारोबार में, कुछ सोने में, कुछ हाथ में रखो हमेशा। एक टोकरी में सारे अंडे मत रखो। और सबसे जरूरी बात मेन कैपिटल मूलधन कभी मत छुओ। सिर्फ उसकी कमाई से जियो। पेड़ को काटो मत फल खाओ। मकसद रोमांच नहीं है। मकसद है टिके रहना। पुनर्जागरण के बैंकर मैडीची परिवार इसे सदियों पहले समझ गए थे। मैडीची 15वीं सदी के इटली का सबसे शक्तिशाली बैंकिंग परिवार था जिसने राजाओं को कर्ज दिया। युद्धों को पैसा दिया। उन्होंने अपना पैसा देशों में बांटा। अलग-अलग चीजों में और पीढ़ियों में। वह सिर्फ अमीर नहीं थे। वह अमर हो गए। यही सिद्धांत आज भी लागू होता है। अमीर बने रहने के लिए आपको दशकों में सोचना होगा। दिनों में नहीं। अब एक आखिरी बात राजाओं को भी खुशी चाहिए। एक छोटी रकम अलग रखिए मजे के लिए। समझदारी से खुश होइए। वह खरीदिए जो आपको सच में खुशी देता है। क्योंकि असली दौलत है सुबह उठना और तय करना कि अपने समय के साथ क्या करना है। यह नहीं कि आपने क्या खर्च किया उसका दिखावा करना। एक बार जब आपने अपना किला सुरक्षित कर लिया तो अपने से परे देखिए। पैसे का अंतिम मकसद फिजूल खर्ची नहीं है। मकसद है विरासत। उन विचारों में, लोगों में और कामों में निवेश कीजिए जो आपसे आगे जाएं। अगर आप इस नियम को सच में समझते हैं तो आप देखेंगे कि दौलत शोर नहीं है। यह चुप्पी है। यह शान शौकत नहीं है। यह ताकत है। मकियावेली ने लिखा था कि समझदार राजा अमीर दिखने के लिए नहीं अमीर रहने के लिए खर्च करता है। तो याद रखिए अमीर बनना आसान है। अमीर रहना युद्ध है। किस्मत तुम्हें सोना दे सकती है। लेकिन सिर्फ समझदारी उसे बचा सकती है। अपना किला बनाओ। चुप रहो। और दुनिया को कभी मत बताओ कि तुम्हारा असली खजाना कहां है। क्योंकि जो दिखता है वह निशाना बनता है और जो छुपा रहता है वह राज करता है। और मकिया हवेली के अपने शब्दों में करना और पछताना बेहतर है। बजाय ना करने और पछताने के। तो करिए लेकिन दूरदर्शिता के साथ करिए। अपना किला बनाइए। उसकी रक्षा कीजिए। उसे बढ़ाइए और दुनिया को कभी मत बताइए कि आपका ताज असल में कहां है। अब फैसला तुम्हारा है। 

अमीर बनो, लेकिन चुप रहो!

मान लीजिए कल सुबह आपके पास ₹5 करोड़ आ जाए अचानक बिना किसी तैयारी के क्या करोगे किसे बताओगे सबसे पहले अपने परिवार वालों को अपने रिश्तेदारों को अपने सबसे अच्छे दोस्त को अगर आपका जवाब हां है तो आप पहले ही हार गए क्योंकि जो मैं आपको अगले कुछ मिनटों में बताने वाला हूं हूं। वह तय करेगा कि आप वह 5 करोड़ अगले 5 सालों में बचा पाओगे या खो दोगे। उस पल में तो लगता है कि भगवान ने आप पर मेहरबानी कर दी। लगता है कि जिंदगी बदल गई। लगता है कि अब सब कुछ आसान हो जाएगा। लेकिन यहीं पर मकेवेली की चेतावनी काम आती है। मकेवेली कौन था? 500 साल पहले इटली में एक राजनीतिक विचारक था। जिसने सत्ता और शक्ति के असली नियम लिखे। वह नियम जो किताबों में नहीं मिलते। वह नियम जो दुनिया असल में कैसे चलती है यह बताते हैं। उसने कहा था कि किस्मत एक औरत की तरह है। वह साहसी लोगों का साथ देती है। लेकिन जो तैयार नहीं है, जो समझदार नहीं है, उन्हें छोड़ देती है। मतलब साफ है। जो चीज आपको आशीर्वाद लग रही है, वह आपकी फांसी बन सकती है। क्योंकि अचानक मिली दौलत आपको नहीं बदलती। वह आपको बेनकाब करती है। आपकी असली कमजोरियां, आपकी गलत आदतें, आपके भ्रम सब कुछ सामने आ जाता है। आप सोचते हैं कि अब आपको आजादी मिल गई। लेकिन असल में आपके ऊपर एक नया बोझ आ गया है। एक गुरुत्वाकर्षण जो आपके आसपास के हर इंसान को आपकी तरफ खींचना शुरू कर देता है। हर कोई आपकी नई दुनिया का एक टुकड़ा चाहता है। अब शायद आप सोच रहे होंगे कि यह सब मेरे साथ तो होने से रहा। मैं तो मिडिल क्लास हूं। मेरे पास तो ना कोई स्टार्टअप है ना कोई बड़ा बिजनेस। मुझे तो अचानक करोड़ों मिलने वाले नहीं। लेकिन रुकिए जरा गौर से सोचिए। आपके शहर में कितने लोगों की जमीन की कीमत पिछले 10 सालों में 10 गुना बढ़ गई। मेट्रो लाइन आ गई। हाईवे बन गया और जो प्लॉट 5 लाख का था वह 50 लाख का हो गया। कितने लोगों को अचानक फैमिली बिजनेस में हिस्सा मिल गया जब बूढ़े बाप ने रिटायर किया। कितने लोगों को किसी दूर के रिश्तेदार से अचानक विरासत मिल गई जिसके बारे में उन्होंने सोचा भी नहीं था। कितने लोगों का छोटा सा काम, छोटी सी दुकान, छोटा सा YouTube चैनल अचानक वायरल हो गया और महीने का लाखों कमाने लगा। यह सब हर रोज हो रहा है। आपके आसपास हो रहा है। हो सकता है आपके साथ ना हो। हो सकता है आप कंफर्टेबल मिडिल क्लास लाइफ जीते रहें। लेकिन अगर हो गया अगर किस्मत ने आप पर मेहर की अगर आपके हाथ में अचानक 5 करोड़ 10 करोड़ आ गए तब क्या करोगे क्योंकि असली सवाल यह नहीं है कि यह होगा या नहीं असली सवाल यह है कि अगर हुआ तो आप तैयार हैं या नहीं और यहीं पर वह डार्क रियलिटी आती है जो बहुत कम लोग जानते हैं। जो लोग अचानक अमीर बन जाते हैं, वह शायद ही कभी उस दौलत को बचा पाते हैं। दुनिया भर में लॉटरी विनर्स और इंस्टेंट मिलियनर्स पर हुई स्टडीज एक डरावनी तस्वीर दिखाती है। एक पैटर्न दिखता है जो हर बार रिपीट होता है। जितनी तेजी से यह लोग ऊपर चढ़ते हैं उतनी ही तेजी से नीचे गिरते हैं। आधे से ज्यादा लोग कुछ ही सालों में तलाक ले चुके होते हैं। कई नशे के आदि हो जाते हैं। कई दिवालियां हो जाते हैं। कई डिप्रेशन में चले जाते हैं। पैसा खत्म होने से बहुत पहले ही वह अपने दोस्त खो देते हैं। अपना परिवार खो देते हैं। अपनी मानसिक शांति खो देते हैं। लेकिन ऐसा क्यों होता है? क्योंकि यह लोग एक घातक गलती कर देते हैं। वो दौलत को समझदारी समझ लेते हैं। वो सोचते हैं कि बस पैसा आ गया तो सब कुछ अपने आप ठीक हो जाएगा। मुझे सब आता है। लेकिन सच यह है कि दौलत को बनाए रखना दौलत को पाने से 100 गुना ज्यादा मुश्किल है। मक्खी हवेली ने अपने जमाने में यह राजाओं में देखा था। वह राजा जिन्हें राज्य विरासत में मिल गया था, जिन्होंने कभी युद्ध नहीं लड़ा था, जिन्होंने कभी संघर्ष नहीं देखा था। बस उनके बाप दादा की मेहनत से उन्हें तख्त मिल गया। मकियावेली ने लिखा कि जो राजकुमार सिर्फ किस्मत की वजह से राजा बनता है, वह अपनी शक्ति तभी तक बचा पाएगा जब तक किस्मत उसका साथ दे। जिस दिन किस्मत पलटी, उस दिन वह राजा भी खत्म। बिल्कुल यही बात पैसे पर भी लागू होती है। अगर आपने वह हैबिट्स डेवलप नहीं की जो दौलत बनाती है। अगर आपने वह डिसिप्लिन नहीं सीखा जो पैसे को बचाता है तो वह दौलत उससे भी तेजी से गायब हो जाएगी जितनी तेजी से वह आई थी। तो जश्न मनाने से पहले, सेलिब्रेट करने से पहले, दुनिया को बताने से पहले एक बात अच्छे से समझ लीजिए। आपका सबसे बड़ा हथियार है चुप्पी। दुनिया आपसे कहेगी कि अपनी सफलता का ढोल पीटो। Instagram पर स्टोरीज डालो। Facebook पर फोटोस लगाओ। सबको बताओ कि तुम कितने सक्सेसफुल हो गए। लेकिन मक्यावेली का नियम बिल्कुल उल्टा है। वह कहता है कि जो लोग अपनी जीत चिल्लाते हैं, वह दूसरों को अपने ऊपर हमला करने का न्योता देते हैं। जिस पल आप अपनी दौलत दुनिया के सामने रख देते हैं, उसी पल आप अपनी सबसे बड़ी कमजोरी दिखा देते हैं। समझदार लोग क्या करते हैं?वह स्टेल्थ वेल्थ में विश्वास करते हैं। छुपी हुई दौलत। ऐसे लोग जो सब कुछ ओन करते हैं। लेकिन बाहर से ऐसा लगता है जैसे उनके पास कुछ खास नहीं है। उनके पड़ोसी सोचते हैं कि वह एक सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। उनकी सिंपल कार देखते हैं। उनके नॉर्मल कपड़े देखते हैं। लेकिन असल में उनका इन्फ्लुएंस, उनकी पावर, उनका पैसा दिखने वाली दुनिया से कहीं ज्यादा है। इतिहास से एक एग्जांपल लेते हैं सेसारे बोर्जिया। यह 15वीं सदी के इटली का एक शासक था। माकियावेली ने इसे बहुत गहराई से स्टडी किया और अपनी किताब में इसके बारे में लिखा। बोर्जा ने चालाकी से, अपने चाम से और कैलकुलेटेड क्रूल्टी से एक पूरा साम्राज्य खड़ा कर दिया था। लेकिन फिर भी उसने एक बात सीखी। जब आप बहुत ज्यादा विजिबल हो जाते हैं, जब आप बहुत ज्यादा दिखने लगते हैं, तो दुश्मन अपने आप पैदा होने लगते हैं। उसकी दौलत और पावर ने लोगों में प्रशंसा से ज्यादा जलन पैदा की। ईर्ष्या पैदा की, विश्वासघात को न्योता दिया। अब एक मॉडर्न एग्जांपल लेते हैं जो और भी साफ समझाएगा। जैक विटेकर। यह अमेरिका का एक ऑर्डिनरी आदमी था। कंस्ट्रक्शन का काम करता था। फैमिली मैन था। सन 2002 में उसने पावर बॉल लॉटरी जीती। 315 मिलियन डॉल। भारतीय रुपए में करीब 2600 करोड़। रातोंरात वो पूरे अमेरिका में फेमस हो गया। और उसने क्या किया? उसने सोचा कि अब मैं अमीर हूं तो मुझे दरियादिल भी बनना चाहिए। उसने जेरोसिटी को अपनी नई पहचान बना लिया। सड़क पर मिलने वाले अनजान लोगों को हजारों डॉलर्स कैश में देने लगा। चर्चों को लाखों डोनेट करने लगा। दोस्तों के लिए घर खरीदने लगा। रिश्तेदारों को गाड़ियां गिफ्ट करने लगा। मीडिया ने उसे हीरो बना दिया। न्यूज़पेपर्स में उसकी तारीफ छपने लगी। टीवी पर इंटरव्यूज होने लगे। सब कहने लगे देखो कितना नोबल इंसान है। लेकिन धीरे-धीरे क्या हुआ। जब मीडिया की लाइट्स बंद हुई, जब कैमरास हट गए, तब उसकी असली जिंदगी टूटनी शुरू हुई। उसकी पत्नी ने उसे छोड़ दिया। वो दोस्त जिनके लिए उसने इतना कुछ किया, जिन्हें उसने पैसे दिए, घर दिए। वह सब गायब हो गए जब उसे उनकी जरूरत थी और सबसे दुखद बात उसकी पोती 16 साल की लड़की उसे अचानक इतने पैसे मिल गए कि वह लग्जरी और ड्रग्स में डूब गई। कुछ ही महीनों में उसकी ड्रग ओवरडोज से मौत हो गई। कुछ साल बाद जब किसी ने विटेकर से इंटरव्यू में पूछा कि अब आप कैसा महसूस करते हैं? तो उसका जवाब था काश मैंने उस लॉटरी टिकट को उसी दिन फाड़ दिया होता। सोचिए ₹2600 करोड़ जीतने के बाद एक इंसान कह रहा है कि काश मैं कभी जीता ही नहीं होता। यह बात सीधे मक्यावेली की फिलॉसफी से निकली लगती है। क्योंकि अचानक मिली दौलत का पहला और सबसे इंपॉर्टेंट नियम वही है जो पावर को बचाए रखने का पहला नियम है। इसे छुपाओ, हाइड करो, कंसील करो। अपनी ताकत को, अपने पैसे को तब तक दुनिया से दूर रखो जब तक वह स्टेबल ना हो जाए। जब तक आपकी फाउंडेशन इतनी मजबूत ना बन जाए कि कोई उसे हिला ना सके। अगर किस्मत आपको सोना देती है तो बाहर से ऐसे बिहेव करो जैसे कुछ बदला ही नहीं। यह नम्रता की बात नहीं है। यह अच्छा इंसान बनने की बात नहीं है। यह सर्वाइवल की बात है। आज के इस जमाने में जहां हर कोई सोशल मीडिया पर अपनी जिंदगी ब्रॉडकास्ट कर रहा है। जहां हर छोटी चीज का फोटो Instagram पर जाता है, वहां गुमनामी ही आपका सबसे मजबूत कवच है। अब आप सोच सकते हैं कि नहीं मैं तो स्मार्ट हूं। मैं इस सबको हैंडल कर लूंगा। मैं अटेंशन को मैनेज करूंगा। मैं तय करूंगा कि किसे कितना बताना है। लेकिन मकियावेली आपको याद दिलाएगा कि इंसान का स्वभाव कैसा होता है। इंसान बेसिकली चंचल है, ईर्ष्यालु है, जेलस है। जिस पल लोगों को थोड़ा सा भी हिंट लगता है कि आपके पास कुछ है जो उनके पास नहीं है, उसी पल से वह आपकी बाउंड्रीज टेस्ट करना शुरू कर देते हैं। वह देखते हैं कि आपसे कितना निकाल सकते हैं। और सबसे खतरनाक बात यह है कि आपके सबसे करीबी लोग भी आपके दोस्त, आपका परिवार वह भी अनजाने में अपनी जिंदगी को आपकी जिंदगी से कंपेयर करना शुरू कर देते हैं। और कंपैरिजन हमेशा जलन पैदा करता है, नाराजगी पैदा करता है, दूरी पैदा करता है। तो अब सवाल यह बनता है, आप असल में अपनी दौलत को अपने आप को कैसे प्रोटेक्ट करें? ऐसी दुनिया में जो विजिबिलिटी की पूजा करती है, जहां हर कोई फेमस होना चाहता है, दिखना चाहता है, वहां आप कैसे छुपे रहकर भी आगे बढ़ें? कैसे अनसीन रहकर भी ग्रेटर पावर की ओर बढ़ें? जवाब सिर्फ चुप रहने में नहीं है। जवाब है स्ट्रक्चर में, ढांचे में। प्राइवेसी सिर्फ यह नहीं है कि आप किसे बताएं और किसे नहीं। प्राइवेसी यह है कि आप अपनी वेल्थ को कैसे स्ट्रक्चर करें। कैसे ऑर्गेनाइज करें, कैसे लीगल प्रोटेक्शन दें? और यही हमें लाता है अचानक मिली दौलत के दूसरे नियम पर। मकियावेली की डिसगाइस की कला, भेष बदलने की कला, छुपाव की रणनीति, आप सिर्फ अमीर नहीं बन सकते। आपको सीखना होगा कि असली अमीर लोग कैसे चलते हैं। अनसीन, अनटचेबल, कानूनी दीवारों के पीछे प्रोटेक्टेड जो आपकी दौलत को एक इनविज़िबल फोर्ट्रेस में बदल देती हैं। दूसरा नियम है कंसीलमेंट थ्रू स्ट्रक्चर। ढांचे के जरिए छुपाओ। मकिया वैली ने सिखाया था कि एक राजकुमार को किले बनाने चाहिए। लेकिन वह किले पत्थरों के नहीं बल्कि स्ट्रेटजी के होने चाहिए। रणनीति के। आपके मामले में वह किला है प्राइवेसी जो नॉर्मल सी की तरह दिखती है। सामान्यता की तरह। भले ही आप किसी को कुछ ना कहें लेकिन आपके आसपास के लोग सेंस कर लेंगे कि कुछ बदला है। लोग दौलत को उसी तरह सूंघ लेते हैं जैसे भेड़िए खून को सूंघते हैं। वो छोटी-छोटी चीजें नोटिस करते हैं। आपकी नई आदतें आपके कॉन्फिडेंस में आया हुआ बदलाव। आपके छोटे-छोटे अपग्रेड्स। दुनिया आपको सिखाती है कि सफलता को डिस्प्ले करो। दिखाओ। लेकिन माकियावेली सिखाता है कि सफलता को डिसगाइस करो। छुपाओ तो आप पहले किसे बताएं? पहला इंसान जिसे आपको बताना चाहिए वह आपका दोस्त नहीं है। आपका फैमिली मेंबर नहीं है। पहला इंसान होना चाहिए एक अच्छा वकील। एक अटर्नी। आधुनिक जमाने का वो कंसीलर जो ट्रस्ट्स की भाषा जानता है। फाउंडेशंस की भाषा जानता है। टैक्स शील्ड्स की भाषा जानता है। क्योंकि असली दौलत कभी डायरेक्टली ओड नहीं होती। वह स्ट्रक्चरर्ड होती है, ढांचे में होती है। जब मकियावेली ने राजाओं को सलाह दी कि वह इंटरमीडियरीज के जरिए राज करें बीच के लोगों के जरिए तो वह एग्जैक्टली यही प्रिंसिपल बता रहा था। पावर तब सबसे अच्छा काम करती है जब वह लेयर्स के जरिए फ्लो होती है। जब उसका सोर्स छुपा हो। आज के जमाने में इसका मतलब है एक ट्रस्ट जो आपका नाम हाइड करें। एक होल्डिंग कंपनी जो आपकी एसेट्स को शील्ड करें और प्रोफेशनल्स जो आपके अफेयर्स को क्वाइटली हैंडल करें। जबकि आपकी पब्लिक लाइफ अनचेंज्ड रहे। बिल्कुल वैसी ही डिस्क्रेशन पैरानोया नहीं है। डिस्क्रेशन पावर है। जैक विटेकर ने अपनी दौलत चिल्लाई और खोखला होकर मर गया। रॉथ चाइल्ड्स ने अपनी दौलत बनाई और सदियों तक इनविज़िबल रहे। रॉथ चाइल्ड फैमिली यूरोप का एक बैंकिंग फैमिली है जो 18वीं सदी से दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से है। लेकिन बहुत कम लोग इन्हें जानते हैं क्योंकि यह कभी सामने नहीं आए। जब इस फैमिली ने युद्धों को फाइनेंस किया, राजाओं को पैसे दिए तब भी यह फैमिली मॉडिस्ट दिखी। शांत, बोरिंग तक। उन्होंने अपने इन्फ्लुएंस को अपनी लाइफस्टाइल से ज्यादा लाउड बोलने दिया। यही है स्टेल्थ वेल्थ। चुप्पी की एरिस्टोक्रेसी। अब लोग आपसे कहेंगे कि अपनी जॉब मत छोड़ना। मैं डिसए्री करता हूं। लेकिन न्यूंस के साथ। पॉइंट यह नहीं है कि जॉब रखनी है। पॉइंट यह है कि मोमेंटम रखनी है। काम आपके माइंड को शार्प रखता है और आपके ईगो को हम्ल रखता है। मक्यावेली ने लिखा था कि आइडलनेस खाली बैठना आदमी को कमजोर बना देता है। सॉफ्ट बना देता है। अचानक मिली दौलत का खतरा खर्च करना नहीं है। खतरा है स्टैग्नेशन। रुक जाना। तो काम करना बंद मत करो। बस वह छोड़ दो जो आपकी स्पिरिट को ड्रेन करता है या आपकी ऑटोनोमी को लिमिट करता है। अगर आपकी जॉब सफोकेटिंग है, घुटन भरी है तो उसे अपनी टर्म्स पर छोड़ो। एस्केप की तरह नहीं बल्कि सोवनिटी के स्टेटमेंट की तरह। अपनी स्वतंत्रता के बयान की तरह की है रिदमम। लय, एक्टिव रहो। बिल्डिंग में लगे रहो। यूज़फुल बने रहो। काम करने वाला आदमी फोकस्ड रहता है। खाली बैठा आदमी इंपल्स का शिकार बन जाता है। हमारे जमाने के सबसे अमीर लोगों को देखिए। जेफ बेज़ोस यह Amazon के फाउंडर हैं। दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी बेजोस ने अपनी एनर्जी रैंडम चीजों में नहीं बिखेरी। उसने एक फोर्ट्रेस फर्टिफाई किया Amazon और उसे मेथोडिकली एक्सपेंड किया। वारेन बफेट। यह अमेरिका के लेजेंडरी इन्वेस्टर हैं। दुनिया के सबसे सक्सेसफुल इन्वेस्टर्स में से एक। बफेट ने डिकेड्स बिताए एक ही क्राफ्ट को रिफाइन करते हुए इन्वेस्टिंग को और 90 साल की उम्र में आज भी वह काम करने उठते हैं। वह समझते हैं वही जो मकिया वैली समझता था। फोकस एक तरह की पावर है और कंसिस्टेंसी एक वेपन है। जो राजकुमार अपना ध्यान बांटता है, वह अपनी डिफेंसेस कमजोर करता है। जो आदमी अपनी दौलत थिन स्प्रेड करता है, वह कोलैप्स को न्योता देता है। एक बार जब आपकी हैबिट्स और आइडेंटिटी स्टेबल हो जाए, तो फिर समय आता है अपने फाइनेंससेस को इनविज़िबल थ्रेट से सिक्योर करने का, कर्ज से, डे से। मैक्यावेली ने राजाओं को चेताया था कि इंटरनल डेंजर्स को एक्सटर्नल डेंजर से पहले खत्म करो। अंदरूनी खतरों को बाहरी खतरों से पहले उसने लिखा था कि जो बीमारी जल्दी पकड़ में आ जाए उसे क्योर करना आसान है। लेकिन अगर उसे नेगलेक्ट किया जाए तो वह इनक्योरेबल बन जाती है। कर्ज एग्जजेक्टली वही बीमारी है। ऊंचे ब्याज वाले लोंस क्रेडिट कार्ड्स। यह चुपके से मारने वाले हैं जो आपकी लापरवाही को खाते हैं। जब आपके खाते में पैसा भरा हो तो यह मामूली लग सकते हैं। छोटी-मोटी चीजें लग सकती हैं। लेकिन कंपाउंड इंटरेस्ट, चक्रवृद्धि ब्याज लालच से भी तेजी से चलता है। 20% की ब्याज दर एक खजाने को चोर से भी तेजी से खा सकती है। तो कर्ज को एक विद्रोह की तरह देखो। अप

हज इंस्पेक्टर भर्ती शुरू: सरकारी कर्मचारियों को वेतन + 3,100 रियाल

सरकारी मुस्लिम कर्मचारी हैं तो बनिए हज इंस्पेक्टर, जाइये मक्का मदीना, वेतन के साथ 3,100 रियाल
राज्य हज इंस्पेक्टर भर्ती के लिए आज से आनलाइन आवेदन
50 वर्ष से कम आयु होना है जरूरी, ढाई महीने रहेंगे सऊदी अरब
कंप्य्टर आधारित परीक्षा व इंटरव्यू से चयन, अरबी जानने वाले को वरीयता

लखनऊ: हज पर जाने वाले अल्लाह के मेहमान होते हैं। उनके लिए सहूलियत मुहैया कराना सवाब का काम है। अब आपको आजमीने हज का खिदमत करने का मौका मिले और उस अवधि में आपको वेतन भत्ते भी मिले तो क्या पूछना। सरकारी मुस्लिम कर्मचारियों के लिए ऐसा ही है। महिला एवं पुरूष कर्मी आवेदन कर सकते हैं। कंप्यूटर आधारित परीक्षा, साक्षात्कार व मेडिकल फिटनेस टेस्ट के आधार पर 50 साल से कम आयु के मुस्लिम महिला पुरूष कर्मियों का चयन होगा। इन्हे 13 अप्रैल से पांच जुलाई 2026 के बीच लगभग ढाई माह के लिए सऊदी अरब में हज यात्रियों की सेवा के लिए तैनात किया जाएगा। इस अवधि उनकी सऊदी अरब में तैनाती को ड्यूटी माना जाएगा और उनका वेतन व भत्ते अपने विभाग से मिलते रहेंगे। राज्य हज कमेटी द्वारा भत्ते के रूप में 3,100 रियाल भी मिलेंगे। हज पर जाने वाले लोगों को सहूलियत मुहैया कराने के लिए प्रदेश से 125 हज इंस्पेक्टर चयनित किए जाएंगे। इसके लिए 15 अक्टूबर से तीन नवंबर तक hajcommittee.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। इसके लिए सरकारी कर्मचारी होना जरूरी है।इसका 50 प्रतिशत खर्च राज्य हज कमेटी और शेष 50 प्रतिशत हज कमेटी आफ इंडिया अदा करेगी। आवेदकों के पासपोर्ट 31 दिसंबर 2026 तक वैध होना चाहिए। अंग्रेजी, उर्दू, हिंदी या स्थानीय भाषा का ज्ञान जरूरी है। अरबी जानने वालों को वरीयता दी जाएगी। हज कमेटी की वेबसाइट hajcommittee.gov.in पर जानकारी उपलब्ध है। हज इंस्पेक्टरों के चयन में कंप्यूटर आधारित परीक्षा 150 अंकों की होगी, साक्षात्कार 50 अंकों का रहेगा। आवेदन के दौरान एनओसी न मिल सके तो आवेदक स्वप्रमाण पत्र देना होगा। साक्षात्कार में मूल एनओसी प्रस्तुत करना जरूरी है। हज इंसपेक्टरों के लिए निर्देश है कि वे आजमीन ए हज का ध्यान नहीं रखेंगे या मोबाइल फोन बंद रखेंगे तो उन्हें भारत भेज दिया जाएगा। साथ ही, उन्हें हज कार्यों से ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा।

दहेज मांगने पर बहिष्कार, लेने पर मुक़दमा

दहेज की मांग करने वालों पर मुकदमा और बहिष्कार करेगा कुरैशी समाज

आओ निकाह आसान करें समिति की शाह जमाल में हुई बैठक में लिया निर्णय 

 

अलीगढ़ : "आओ निकाह आसान करें" समिति ने कुरैशी समाज के लिए सामाजिक सुधार का संकल्प लिया है। समिति से जुड़े लोगों ने मंगलवार को हुई बैठक में कहा कि दहेज को समाप्त करना हर व्यक्ति की नैतिक जिम्मेदारी है। सोमवार को एडीए कालोनी शाहजमाल स्थित अकबरी लाज में हाजी जहीर कुरैशी (सदर, एआइजेक्यू) की अध्यक्षता में हुई बैठक में दहेज बंदी व गैर-जरूरी रस्मों को खत्म करने का संकल्प लिया गया। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जो व्यक्ति शादी में दहेज लाएगा या विवाह के बाद लड़की पक्ष से दहेज की मांग करेगा, उसके खिलाफ न केवल कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी, बल्कि समाजिक बहिष्कार भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समय आ गया है, जब स्वजन को सरल, सादगीपूर्ण व बरकत वाले निकाह की ओर लौटना चाहिए। यह मुहिम हर मोहल्ले व क्षेत्र तक चलाई जाएगी। इससे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास होगा। इस मौके पर हाजी वाहिद, हाजी नौशाद कुरैशी, आरफीन कुरैशी, जिया उर रब, बिलाल कुरैशी, हाजी सोहैल, इरफान कुरैशी, आजाद व भू

 

दहेज लेने पर मुकदमा, मांगा तो बहिष्कार: कुरैशी समाज का फैसला

 

आओ निकाह आसान करें समिति की शाह जमाल में हुई बैठक में लिया निर्णय 

 

अलीगढ़। "आओ निकाह आसान करें" समिति ने कुरैशी समाज के लिए सामाजिक सुधार का संकल्प लिया है। समिति से जुड़े लोगों ने मंगलवार को हुई बैठक में कहा कि दहेज को समाप्त करना हर व्यक्ति की नैतिक जिम्मेदारी है। सोमवार को एडीए कालोनी शाहजमाल स्थित अकबरी लाज में हाजी जहीर कुरैशी (सदर, एआइजेक्यू) की अध्यक्षता में हुई बैठक में दहेज बंदी व गैर-जरूरी रस्मों को खत्म करने का संकल्प लिया गया। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जो व्यक्ति शादी में दहेज लाएगा या विवाह के बाद लड़की पक्ष से दहेज की मांग करेगा, उसके खिलाफ न केवल कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी, बल्कि समाजिक बहिष्कार भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समय आ गया है, जब स्वजन को सरल, सादगीपूर्ण व बरकत वाले निकाह की ओर लौटना चाहिए। यह मुहिम हर मोहल्ले व क्षेत्र तक चलाई जाएगी। इससे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास होगा। इस मौके पर हाजी वाहिद, हाजी नौशाद कुरैशी, आरफीन कुरैशी, जिया उर रब, बिलाल कुरैशी, हाजी सोहैल, इरफान कुरैशी, आजाद व भूरा भारती रहे।

दहेज मांगने पर बहिष्कार, लेने पर मुक़दमा

दहेज की मांग करने वालों पर मुकदमा और बहिष्कार करेगा कुरैशी समाज

आओ निकाह आसान करें समिति की शाह जमाल में हुई बैठक में लिया निर्णय 

 

अलीगढ़ : "आओ निकाह आसान करें" समिति ने कुरैशी समाज के लिए सामाजिक सुधार का संकल्प लिया है। समिति से जुड़े लोगों ने मंगलवार को हुई बैठक में कहा कि दहेज को समाप्त करना हर व्यक्ति की नैतिक जिम्मेदारी है। सोमवार को एडीए कालोनी शाहजमाल स्थित अकबरी लाज में हाजी जहीर कुरैशी (सदर, एआइजेक्यू) की अध्यक्षता में हुई बैठक में दहेज बंदी व गैर-जरूरी रस्मों को खत्म करने का संकल्प लिया गया। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जो व्यक्ति शादी में दहेज लाएगा या विवाह के बाद लड़की पक्ष से दहेज की मांग करेगा, उसके खिलाफ न केवल कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी, बल्कि समाजिक बहिष्कार भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समय आ गया है, जब स्वजन को सरल, सादगीपूर्ण व बरकत वाले निकाह की ओर लौटना चाहिए। यह मुहिम हर मोहल्ले व क्षेत्र तक चलाई जाएगी। इससे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास होगा। इस मौके पर हाजी वाहिद, हाजी नौशाद कुरैशी, आरफीन कुरैशी, जिया उर रब, बिलाल कुरैशी, हाजी सोहैल, इरफान कुरैशी, आजाद व भू

 

दहेज लेने पर मुकदमा, मांगा तो बहिष्कार: कुरैशी समाज का फैसला

 

आओ निकाह आसान करें समिति की शाह जमाल में हुई बैठक में लिया निर्णय 

 

अलीगढ़। "आओ निकाह आसान करें" समिति ने कुरैशी समाज के लिए सामाजिक सुधार का संकल्प लिया है। समिति से जुड़े लोगों ने मंगलवार को हुई बैठक में कहा कि दहेज को समाप्त करना हर व्यक्ति की नैतिक जिम्मेदारी है। सोमवार को एडीए कालोनी शाहजमाल स्थित अकबरी लाज में हाजी जहीर कुरैशी (सदर, एआइजेक्यू) की अध्यक्षता में हुई बैठक में दहेज बंदी व गैर-जरूरी रस्मों को खत्म करने का संकल्प लिया गया। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जो व्यक्ति शादी में दहेज लाएगा या विवाह के बाद लड़की पक्ष से दहेज की मांग करेगा, उसके खिलाफ न केवल कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी, बल्कि समाजिक बहिष्कार भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समय आ गया है, जब स्वजन को सरल, सादगीपूर्ण व बरकत वाले निकाह की ओर लौटना चाहिए। यह मुहिम हर मोहल्ले व क्षेत्र तक चलाई जाएगी। इससे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास होगा। इस मौके पर हाजी वाहिद, हाजी नौशाद कुरैशी, आरफीन कुरैशी, जिया उर रब, बिलाल कुरैशी, हाजी सोहैल, इरफान कुरैशी, आजाद व भूरा भारती रहे।

राष्ट्रीय एकता का संदेश देती अमरोहा की विशाल तिरंगा रैली

अमरोहा तिरंगामय: जिलाधिकारी निधि गुप्ता वत्स, SP अमित कुमार आनंद और नगर पालिका अध्यक्ष शशि जैन के नेतृत्व में भव्य तिरंगा रैली

अमरोहा, 13 अगस्त 2025।
हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत आज अमरोहा की सड़कों पर देशभक्ति का अनोखा जज़्बा देखने को मिला। जिलाधिकारी श्रीमती निधि गुप्ता वत्स, पुलिस अधीक्षक श्री अमित कुमार आनंद और नगर पालिका परिषद अध्यक्ष श्रीमती शशि जैन के नेतृत्व में एक भव्य तिरंगा रैली निकाली गई, जिसने पूरे जनपद को तिरंगामय कर दिया।

ढोल-नगाड़ों और पुष्प वर्षा के बीच रैली की शुरुआत

राजकीय मिनी स्टेडियम से रैली की शुरुआत जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और नगर पालिका अध्यक्ष ने हरी झंडी दिखाकर की। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी श्री अश्वनी कुमार मिश्र, ब्लॉक प्रमुख श्री गुरिंदर सिंह, अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) श्रीमती गरिमा सिंह और अधिशासी अधिकारी डॉ. बृजेश कुमार सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।

रैली का मार्ग स्वामी विवेकानंद चौक – पालिका कार्यालय – कोट चौराहा – मुख्य बाजार – पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग होते हुए जे.एस. हिन्दू इंटर कॉलेज मैदान तक रहा। रास्ते में व्यापारियों और नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर प्रतिभागियों का उत्साह बढ़ाया।

स्कूली बच्चों और नागरिकों का उत्साह

विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं, जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, कर्मचारियों और पार्टी कार्यकर्ताओं ने हाथों में तिरंगे झंडे लेकर रैली में भाग लिया। बच्चों और युवाओं के जोश से माहौल पूरी तरह राष्ट्रभक्ति से सराबोर हो गया। बीच-बीच में गूंजते देशभक्ति नारों ने जनसमूह को गहराई तक प्रभावित किया।

जिलाधिकारी और अधिकारियों की अपील

जिलाधिकारी श्रीमती निधि गुप्ता वत्स ने नागरिकों से अपील की कि “अपने-अपने घरों पर तिरंगा झंडा अवश्य लगाएँ और राष्ट्रध्वज के सम्मान को और ऊँचा करें।” नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती शशि जैन और पुलिस अधीक्षक श्री अमित कुमार आनंद ने भी आमजन से हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने की अपील की।

सेल्फी प्वाइंट बना आकर्षण का केंद्र

रैली के समापन स्थल जे.एस. हिन्दू इंटर कॉलेज में एक विशेष सेल्फी प्वाइंट बनाया गया, जहाँ बच्चों, युवाओं, अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने तिरंगे के साथ तस्वीरें खिंचवाकर यादगार पल संजोए।

लगाए जाएंगे 38,46,600 पौधे

जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई वृक्षारोपण अभियान की तैयारियों की समीक्षा

ईद-होली मिलन समारोह में अमन, इत्तेहाद और इंसानियत का संदेश

ईद मिलन एवं सम्मान समारोह का शानदार आयोजन, सरज़मीने अमरोहा बनी भाईचारे की मिसाल

अमरोहा। ईद के पुरखुलूस मौके पर राज सेलिब्रेशन, नौगावां रोड पर गुरुवार शाम एक शानदार ईद मिलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मेज़बानी डॉ. मेराज हुसैन ने की, जिनकी मेहमाननवाज़ी और मोहब्बत से महफ़िल में रौनक आ गई।

इस खास मौके पर देशभर से कई नामचीन हस्तियों ने शिरकत की।
कार्यक्रम में अब्बास हफीज़ (भोपाल, कांग्रेस प्रवक्ता), वसीम अकरम त्यागी (दिल्ली, वरिष्ठ पत्रकार), प्रशांत कलाय (चिश्ती विचारक), नितिन कुमार सिन्हा (एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड, सुप्रीम कोर्ट), सैय्यद अकरम (दिल्ली, एडिटर – द नेशन ग्रुप), और मोहम्मद अली (दिल्ली, एडिटर – मिस्र जर्नी) जैसे गणमान्य अतिथि मंच पर मौजूद रहे। अमरोहा की सरज़मीन ने सभी मेहमानों का दिल से खैरमकदम किया।

अब्बास हफीज़ ने अपने संबोधन में कहा, मैं डॉ. मेराज साहब को व्यक्तिगत रूप से जानता हूं। वह एक सम्मानित, मिलनसार और समाज के लिए समर्पित व्यक्ति हैं। उनका यह आयोजन मोहब्बत और भाईचारे की मिसाल है।
उन्होंने मंच पर लगे बैनर की भी तारीफ की जिस पर लिखा था: भाईचारा ज़रूरी है... ईद-होली मिलन — और कहा कि आज के दौर में ऐसे संदेश देने वाले आयोजन बहुत जरूरी हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत शाम 6:45 बजे हुई, जिसमें शहर की जानी-मानी हस्तियों, पत्रकारों, समाजसेवियों और विभिन्न क्षेत्रों में बेहतरीन कार्य करने वाली शख्सियतों को शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

डॉ. मेराज हुसैन ने कहा, ईद का पैग़ाम सिर्फ मिठाई और मुबारकबाद नहीं, बल्कि मोहब्बत, भाईचारे और इंसानियत का भी है। आज की ये महफिल इसी पैग़ाम को आम करने की एक छोटी-सी कोशिश है।

सम्मान समारोह के बाद डिनर का आयोजन हुआ, जिसमें मेहमानों ने आपसी मेल-जोल के साथ शाम को यादगार बना दिया।

बैंक गार्ड ने गोली मारकर की आत्महत्या

हसनपुर में एसबीआई बैंक में तैनात गार्ड ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। वह मानसिक तौर पर लंबे समय से परेशान चल रहे थे। परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार कर लिया।रजबपुर क्षेत्र के गांव देहरी में बैंक गार्ड ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली । वह रिटायर्ड फौजी भी थे। बताया जा रहा है कि मामला गृह क्लेश से जुड़ा हुआ है। परिजनों ने पुलिस कार्रवाई के बिना शव का अंतिम संस्कार कर दिया। थाना क्षेत्र के गांव देहरी निवासी लोकेंद्र सिंह (40) पुत्र छतर सिंह हसनपुर स्थित एसबीआई शाखा में गार्ड के पद पर तैनात थे।जिसे देख उनके होश उड़ गए। देर रात परिजनों ने बिना पुलिस कार्रवाई के गार्ड के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। मृतक अपने पीछे पत्नी व बेटे को छोड़ गए हैं। थाना प्रभारी रमेश शेहरावत का कहना है कि इस तरह की कोई सूचना नहीं मिली है।

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